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Charanjeet Charan : चरणजीत चरण

नाम : चरणजीत चरण
जन्म : 13 जून 1975
शिक्षा : स्नातकोत्तर (हिंदी तथा राजनीति शास्त्र)

प्रकाशन
सरगोशियाँ; पाँखी प्रकाशन
हसरतों के आईने; पाँखी प्रकाशन

निवास :ग्रेटर नोएडा

हिंदी काव्य मंच के भविष्य का चेहरा जिन चंद रचनाकारों से मिलकर तैयार होता है, उनमें से चरणजीत एक अहम् नाम है। देश की राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा के छोटे से गाँव रन्हेरा में जन्मे चरणजीत हिंदी तथा राजनीति शास्त्र विषयों में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त कर चुके हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई भी
की। वर्ष 2009 में एन चन्द्रा द्वारा निर्मित फिल्म ‘ये मेरा इंडिया’ और 2011 में संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘माई फ्रैंड पिंटो’ में भी चरण ने गीत लिखे हैं। वर्तमान में चरणजीत उत्तर प्रदेश सरकार में अध्यापन कार्य से जुड़े हैं।
चरणजीत ‘चरण’ ग़ज़ल और छंदबद्ध कविता के ऐसे माहिर हस्ताक्षर हैं, जिन्हें सुनना स्वयं में एक अनोखा अहसास है। जब वे मंच पर छंद पढ़ रहे होते हैं तो प्रवाह का एक ऐसा समा बंधता है कि पूरे वातावरण में घनाक्षरी गूंजने लगता है। उनकी कविता में वर्तमान परिप्रेक्ष्य की विडंबनाओं पर तीखा कटाक्ष तो है ही, साथ ही
साथ सांस्कृतिक अवमूल्यन के प्रति एक गहरी चिंता भी है। वे सशक्त रूप में अपने गीतों के माध्यम से रूढ़ियों पर प्रहार भी करना जानते हैं और शालीनता के साथ गंभीर मुद्दों पर प्रश्न भी उठा सकते हैं।

 

Vishal Bagh : विशाल बाग़

नाम : विशाल बाग़
जन्म : 25 मई 1982; कश्मीर
शिक्षा : बी.ई. (इलैक्ट्रॉनिक्स एन्ड टेलीकॉम)

निवास : गुरुग्राम

कश्मीर की खूबसूरती का एहसास कराती विशाल बाग़ की शायरी में एक ऐसा नयापन है जो अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलता. मूलतः विशाल एक अभियंता हैं लेकिन मशीनी दिनचर्या से घिरे इस सुख़नवर के एहसास बेहद नाज़ुक और ताज़ा हैं. संवेदना के उस मुक़ाम तक विशाल की शायरी सफर कराती है जहाँ आश्चर्य और
सुकून एक साथ आ मिलते हैं. बचपन के खुशनुमा मंज़रों को अशआर में पिरो देने का हुनर विशाल की सबसे ख़ास दौलत है. इश्क़ की मीठी चुभन इन अशआर को संवारती है तो ज़िन्दगी के मसाइल में शामिल धड़कनो की आवाज़ से इनका नूर हज़ार गुना बढ़ जाता है.

 

Alok Srivastava : आलोक श्रीवास्तव

30 दिसंबर 1971 को मध्य-प्रदेश के शाजापुर में जन्मे आलोक श्रीवास्तव का बचपन मध्य-प्रदेश के सांस्कृतिक नगर विदिशा में गुज़रा और वहीं से आपने हिंदी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा ग्रहण की। दिल्ली से प्रकाशित आपका पहला ग़ज़ल-संग्रह ख़ासा चर्चित रहा। पत्रकारिता से जुड़े होने के कारण आपकी प्रतिभा में स्वतः ही एक बारीक़ अन्वेषण की झलक दिखाई देती है। बेहद बारीक़ अहसासात को स्पर्श करती हुई आपकी ग़ज़लियात अपनी संवेदनाओं के लिये जानी जाती हैं। सलीक़े से कही गई कड़वी बातें भी आपकी रचनाधर्मिता की उंगली पकड़कर अदब की महफ़िल में आ खड़ी होती हैं। जगजीत सिंह और शुभा मुद्गल जैसे फ़नक़ारों ने आपकी ग़ज़लियात को स्वर दिया है। इन दिनों आप दिल्ली में एक समाचार चैनल में कार्यरत हैं। यदि पुरस्कारों की फ़ेहरिस्त बनाई जाए तो ‘अभिनव शब्द शिल्पी सम्मान 2002’;  ‘मप्र साहित्य अकादमी का दुष्यंत कुमार पुरस्कार-2007’; ‘भगवत शरण चतुर्वेदी सम्मान 2008’; ‘परंपरा ऋतुराज सम्मान-2009’ और ‘विनोबा भावे पत्रकारिता सम्मान-2009’ आपके खाते में अभी तक आते हैं।