तुम कहते हो
कि पूर्ण कर देता है प्यार
दो आधे-अधूरे लोगों को
मैं सोचती हूँ
कि आधा या अधूरा व्यक्ति
कर ही नहीं सकता प्यार!
प्यार के लिए
आधा या पूरा नहीं
स्वयं में दो होना होता है।
प्यार नाम है देने का
और दे वही सकता है
जो पूरे से कुछ ज्यादा हो!
ताकि दे सके वह
निर्द्वन्द्व
बिना किसी पश्चाताप के
…कुछ लेना
फिर कुछ देना
ये तो व्यापार है
प्यार नहीं!
© Sandhya Garg : संध्या गर्ग