Tag Archives: Charanjeet Charan Poems

कभी दस्तूर शीशे के

साइल राहे-उल्फ़त में मिले भरपूर शीशे के
कभी दीवार शीशे की, कभी दस्तूर शीशे के

ये दुनिया ख़ुद में है फ़ानी यहाँ सब टूट जाता है
महल वालो न रहना तुम, नशे में चूर, शीशे के

वो कोई दौर था, जब थी फटी चादर कबीरों की
यहाँ शीशे के ग़ालिब हैं, यहाँ हैं सूर शीशे के

नहीं मालूम कैसे, कब, कहाँ से आ गए पत्थर
चलो अच्छा हुआ हम-तुम खड़े थे दूर शीशे के

नहीं मंज़ूर हमको दोस्त पत्थर के ‘चरन’ सुन ले
मगर दुश्मन भी हमको तो नहीं मंज़ूर शीशे के

 

© Charanjeet Charan : चरणजीत चरण

 

ज़िन्दगी हिसाब में चली गई

बचपन रेल-वेल-खेल में निकल गया
चढ़ती जवानी किसी ख्वाब में चली गई
कुछ पल सजने-सँवरने के नाम गए
और कुछ झूठे हाव-भाव में चली गई
सही व ग़लत के मुग़ालते में गई कुछ
कुछ भावनाओं के बहाव में चली गई
कुछ लेन-देन खाने-पीने में निकल गई
और बाक़ी ज़िन्दगी हिसाब में चली गई

© Charanjeet Charan : चरणजीत चरण

 

ज़माना बदल गया

कम्बख़्त मेरी एक न माना बदल गया
पल भर में मेरा दोस्त पुराना बदल गया

जो मुझको चाहता था मेरा हाल देखकर
निकला है मेरा दोस्त सयाना बदल गया

आख़िर वही हुआ जो मुक़द्दर में था लिखा
तू क्या बदल गया कि ज़माना बदल गया

मुझको यक़ीन था कि स्वयंवर मैं जीतता
पर ऐन वक़्त मेरा निशाना बदल गया

© Charanjeet Charan : चरणजीत चरण