हम क्यों बहक रहे हैं

हमें कुछ पता नहीं है हम क्यों बहक रहे हैं
रातें सुलग रही हैं दिन भी दहक रहे हैं
जब से है तुमको देखा हम इतना जानते हैं
तुम भी महक रहे हो हम भी महक रहे हैं

© Vishnu Saxena : विष्णु सक्सेना