बेशर्म चीन से

बेशर्म चीन ! अब तेरा वक्त आ गया है ! भारत की धमनियों में नव-रक्त आ गया है ! आया कभी सिकंदर, तेरा सा ख्वाब लेकर, ले पूछ उस- ‘लौटा कैसा जवाब लेकर‘ ? भूटान और सिक्कम, नेपाल और बर्मा, सदियों से यह रहे हैं अपने समानधर्मा; सीमा पे तू समर का सामान कर रहा था, बापू का देश अपना निर्माण कर रहा था; पानी को बाँधने में बिजली से खेलता था, सुख-शान्ति की दिशा में प्रस्थान कर रहा था; धोखे से आ के तूने, पीछे से छुरा भोंका, तिब्बत निगल गया तू, तब एशिया भी चौंका; सत्तर करोड़ कायर सिंहों से क्या लड़ेंगे ? उनका पता न होगा, जब पीछे हम पड़ेंगे; नापाक इरादों को मिट्टी में मिला देंगे; तेरी बिसात क्या है, ब्रम्हाण्ड हिला देंगे; “पंजाब“ लड़ रहा है, “आसाम“ भिड़ रहा है, “बंगाल“ को खबर है, क्यों युद्ध छिड़ रहा है ? अपनी पुरानी “सीपी“ मोती को उगल रही है, बाँके “बिहारियों“ की तबियत मचल रही है; राणा प्रताप जैसे पीरों का देश जागा, ‘महाराष्ट्र‘ के शिवा ने आदेश फिर से माँगा; ‘मद्रास‘, ‘आन्ध्र‘, ‘उत्कल‘, ‘गुजरात‘ जागता है, सीमान्त गाँधी जैसा सुकरात जागता है; ‘मैसूर‘ और ‘केरल‘, ‘केसर‘ पे रंग आया, ‘दिल्ली‘ के दिग्गजों ने भारी कदम उठाया; ‘उत्तर प्रदेश‘ से ही उत्तर तुझे मिलेगा; इस जन्म में तुझे अब अपना न घर मिलेगा ! © Balbir Singh Rang : बलबीर सिंह ‘रंग’