संजय झाला व्यंग्य के साथ-साथ हास्य का भी नाम है। वह अपने अनूठे अंदाज में पंच करते हैं। संजय आलोचना भरी निगाहों से चीजों को देखता है, वह उन्हें काव्यात्मक मस्तिष्क के साथ सोचते है और मुस्कुराते हुए अपने विचारों को व्यक्त करते है। वह संस्कृत, अंग्रेजी और हिंदी भाषा के विशेषज्ञ हैं।
जन्म: 01 मई 1972
शिक्षा: पोस्ट ग्रेजुएशन।
अन्य उपलब्धियां
1) विभिन्न मीडिया यानि दूरदर्शन, SAB TV, NDTV, Live India, दबंग आदि के साथ प्रसारण।
2) दूरदर्शन पर धारावाहिक नया सवेरा में प्रमुख भूमिका।
3) ETV पर एजी की स्क्रिप्ट और एंकरिंग।
प्रकाशित काम
1) सूरुपनखा की नाक (व्यंग्य)
2) भृष्ट सत्यम जगत मिथ्या (व्यंग्य)
3) तू डाल डाल मैं पात पात (व्यंग्य)
4) सुनी सुनी ऐवे हँसी (व्यंग्य)
पुरस्कार-
भारत की राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा सम्मानित।
अखिल भारतीय रंग-तरंग सम्मान, मध्य प्रदेश।
राजस्थान गौरव सम्मान -2009।
अट्टहास युवा रत्नाकर सम्मान 2009 (यूपी)।
४० वाँ अखिल भारतीय टेप सम्मान
SAB टीवी द्वारा “कविता सम्मान” से सम्मानित “वाह-वाह क्या बात है”