आज न रो मन मेरे

आज न रो मन मेरे! कीमत क्या तेरे रोने की? रोकर अपनापन खोने की, पल-पल पर विह्वल हाने की, माप सकेगा कौन जगत में रोदन के क्षण तेरे ? तब जग तुझ पर मान करेगा, तब तेरा गुणगान करेगा; तब तेरी पहिचान करेगा, जिस दिन सुख-दुख होंगे, तेरे अनुशासन के चेरे ! आज विवश मेरा चंचल मन, आज विवश मेरा जर्जर-तन; आज विवश है सारा जीवन; इतनी परवश्ताओं में भी विवश न गायन मेरे ! © Balbir Singh Rang : बलबीर सिंह ‘रंग’