दिल तक तो अब ये हमारा नहीं

इस क़दर तुम तो अपने क़रीब आ गए कि तुम से बिछड़ना गवारा नहीं ऐसे बांधा मुझे अपने आगोश में कि ख़ुद को अभी तक सँवारा नहीं अपनी ख़ुश्बू से मदहोश करता मुझे दूसरा कोई ऐसा नज़ारा नहीं दिल की दुनिया में तुझको लिया है बसा तुम जितना मुझे कोई प्यारा नहीं दिल पे मरहम हमेशा लगाते रहे आफ़तों में भी मुझको पुकारा नहीं अपना सब कुछ तो तुमने है मुझको दिया रहा दिल तक तो अब ये हमारा नहीं हमसफ़र तुम हमारे हमेशा बने इस ज़माने का कोई सहारा नहीं साथ देते रहो तुम मेरा सदा मिलता ऐसा जनम फिर दुबारा नहीं © Ambrish Srivastava : अम्बरीष श्रीवास्तव