Tag Archives: Amma by Alok Srivastava

अम्मा

चिंतन, दर्शन, जीवन, सर्जन, रूह, नज़र पर छाई अम्मा
सारे घर का शोर-शराबा, सूनापन, तन्हाई अम्मा

उसने ख़ुद को खोकर मुझमें एक नया आकार लिया है
धरती, अम्बर, आग, हवा, जल जैसी ही सच्चाई अम्मा

घर के झीने रिश्ते मैंने लाखों बार उधड़ते देखे
चुपके-चुपके कर देती है, जाने कब तुरपाई अम्मा

सारे रिश्ते- जेठ-दुपहरी, गर्म-हवा, आतिश, अंगारे,
झरना, दरिया, झील, समन्दर, भीनी-सी पुरवाई अम्मा

बाबूजी गुज़रे आपस में सब चीज़ें तक्सीम हुईं, तो-
मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से आई अम्मा

© Alok Srivastava : आलोक श्रीवास्तव