दादी और नानियाँ

तितली के टूटे हुए पंख, सीपियों के शंख
और किसी फटे हुए चित्र की निशानियाँ
सपनों में सजते हुए वो शीशे के महल
और उन महलों में राजा और रानियाँ
रात-दिन बेशुमार ज़िन्दगी की रफ्तार
ले के कहाँ आ गईं ये हमको जवानियाँ
किस को पता है ओढ़ के उदासी जाने किस
कोने में पड़ी हुई हैं दादी और नानियाँ

© Charanjeet Charan : चरणजीत चरण