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प्रेम का वरदान

एक दिन हमको बना दो, नियति का पालक विधाता
हम तुम्हारे भाग्य में बस प्रेम का वरदान देंगे

इस समय से छीन लेंगे, हम विरह के निर्दयी पल
वक्ष पर इसके लिखेंगे प्रेम से भीगे कई पल
तुम, तुम्हारी प्रियतमा को सांस भर कर देख लेना
लो! तुम्हारे भाग्य में हैं लिख दिए कुछ अक्षयी पल

मुस्कुराहट के सभी पर्याय झूठे हो गए तो
हम तुम्हारे नैन के हर अश्रु को सम्मान देंगे

फिर कभी यमराज कोई, भाग्य की देकर दुहाई
छीन ना पाए किसी सावित्री की सारी कमाई
फिर कभी मीरा मरे ना प्रेम में अमरत्व पाकर
फिर न अम्बा को मिले होकर विवादित जग-हँसाई

फिर कभी जीवन-मरण से चूक ना जाए समर्पण
प्रेम की हर सांस को हम आज सौ-सौ प्राण देंगे

बात ये अनुचित तुम्हारी, जोड़ियां बनती गगन में
कौन-सी सीता बसेगी, कौन-से राघव-नयन में
कौन जाने, कौन-सी मुरली सजेगी किस अधर पर
भाग्य क्यों अड़चन बनेगा, प्रेम के निश्छल चयन में

लिख सके ख़ुद ही धरा पर हर कहानी अंत अपना
हम हथेली की लकीरों को नए प्रतिमान देंगे

© Manisha Shukla : मनीषा शुक्ला