मधुरतम प्यार मिले

यदि मुझे मधुरतम प्यार मिले, तो जानूँ ! मेरे मन का संसार मिले, तो जानूँ ! जीवन में सब को प्यार नहीं मिलता है, आशंकाओं में प्यार नहीं पलता है; साधना-हीन इच्छाओं की आँधी में- जीवन भर आशा-दीप नहीं जलता ! रवि ने कब पाया रजत-निशा का चुम्बन ? शशि ने कब देखा है निदाघ का जीवन ? कहने को तो उपदेश मुझे भी आता, कुछ करने का अधिकार मिले तो जानूँ! कल्पना सदा साकार नहीं होती है, याचना कभी अधिकार नहीं होती है; कटु-सत्य-सिन्धु के भीषण तूफानों में- सपनों की नौका पार नहीं होती है; लहरें मिलती हैं गति के उलझाने को, तट मिलती हैं रह-रह कर टकराने को; भर सके मुझे निज भुजाओं में जो- वह अति उदार मँझधारों मिले, तो जानूँ ! तारों को तज कर राग अमर होता है, रागों को तज कर त्याग अमर होता है; मधुमती मिलन-वेला को तज कर ही तो- विरही मन अनुराग अमर होता है; है गाने का आधार आह का रोना, है पाने का आधार आह का खोना; मैं इन सब का आधार जानता हूँ पर- मुझ को मेरा आधार मिले, तो जानूँ ! © Balbir Singh Rang : बलबीर सिंह ‘रंग’