बदलाव

जब कभी कोई विस्तार मेरी मुट्ठियों में बंद हुआ एक तेज़ धार वाले ब्लेड ने अंगुलियाँ लहू-लुहान कर दीं मेरा छोटा ऐसे कई ब्लेड खेल-खेल में चबाकर निगल जाता था और अब मैं इन ब्लेडों को अपनी नसों में घूमते महसूस करता हूँ शायद अब वे मेरे श्वेत और लाल रक्त-कणों में बदल गए हैं © Dhananjaya Singh : धनंजय सिंह