बचपन के दिन

टिमटिम तारे, चंदा मामा माँ की थपकी मीठी लोरी सोंधी मिट्टी, चिड़ियों की बोली लगती प्यारी माँ से चोरी सुबह की ओस सावन के झूले खिलती धूप में तितली पकड़ना माँ की घुड़की, पिता का प्यार रोते रोते हँसने लगना पल में रूठे, पल में हँसते अपने-आप से बातें करना खेल-खिलौने, साथी-संगी इन सबसे पल भर में झगड़ना लगता है वो प्यारा बचपन शायद लौट के न आए जहाँ उसे छोड़ा था हमने वहीं पे हमको मिल जाए © Ambrish Srivastava : अम्बरीष श्रीवास्तव