जिए जा रहा हूँ मैं

दाल-रोटी दी तो दाल-रोटी खा के सो गया मैं आँसू दिये तूने आँसू पिए जा रहा हूँ मैं दुख दिए तूने मैंने कभी न शिक़ायत की जब सुख दिए सुख लिए जा रहा हूँ मैं पतित हूँ मैं तो तू भी तो पतित पावन है जो तू करा ता है वही किए जा रहा हूँ मैं मृत्यु का बुलावा जब भेजेगा तो आ जाउंगा तूने कहा जिए जा तो जिए जा रहा हूँ मैं © Omprakash Aditya : ओमप्रकाश ‘आदित्य