मुहब्बत के मारे

जी हमी हैं मुहब्बत के मारे हुए दिल के टूटे हुए जां से हारे हुए जिन से बरसों की पहचान थी छुट गई अजनबी आज से हम तुम्हारे हुए इस ज़मीं को भी हम रास आए नही हम वही हैं फ़लक़ से उतारे हुए एक दिन आई दुनिया लिए अपने ग़म हम भी बैठे थे दामन पसारे हुए दिल जो टूटे नहीं ख़ाक में मिल गए दिल जो टूटे फ़लक़ के सितारे हुए दोष सारा हमारे जुनूँ को न दो उनकी जानिब से भी कुछ इशारे हुए इक नज़र के तक़ाज़े पे सब ने कहा हम तुम्हारे हुए हम तुम्हारे हुए © Vishal Bagh : विशाल बाग़