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जाने तुमसे क्या छूटा है

जाने तुमसे क्या छूटा है, सबको साथ लिए जाते हो
जाने तुमपर क्या बीती है, मन को गीत किए जाते हो

जाने कब से आंखे भर के गीला चंदा देख रहे हो
इक टूटे तारे के आगे अब भी माथा टेक रहे हो
यादों पर मन टांक रहे हो, भावों का अतिरेक रहे हो
यूं लगता है अपने जैसे केवल तुम ही एक रहे हो

होठों पर नदिया रक्खी है, फिर भी प्यास पिए जाते हो
ख़ुद से अपनी एक न बनती, जग को मीत किए जाते

अनगढ़ पत्थर पूज रहे हो, शायद देवों से हारे हो
प्यासों के आगत पर ख़ुश हो, शायद नदिया के मारे हो
मुस्कानें बोते रहते हो, क्या उत्सव के हरकारे हो?
आंसू से रूठे रहते हो, क्या काजल के रखवारे हो?

मूल्य न जिनके पास ह्रदय का,उनपर प्राण दिए जाते हो
जिसने मन पर घाव लगाया, उससे प्रीत किए जाते हो

मोल रहे हो पीर पराई, इतने आंसू रो पाओगे?
दुनिया को ठुकराने वाले, क्या दुनिया के हो पाओगे?
इक मीठे चुम्बन के दम पर सारी पीड़ा धो पाओगे?
क्या लगता है, सब देकर भी, जो खोया था, वो पाओगे?

साँसों से अनुबंध किया है, इक संत्रास जिए जाते हो
दुनिया धारा की अनुयायी, तुम विपरीत किए जाते हो

© Manisha Shukla : मनीषा शुक्ला