तेरी महफ़िल में चले आए हैं लाशों की तरह
और आए हैं तो जी कर ही उठेंगे साक़ी
तूने बरसों जिसे आँखों में छिपाए रखा
आज उस जाम को पी कर ही उठेंगे साक़ी
© Ashutosh Dwivedi : आशुतोष द्विवेदी
तेरी महफ़िल में चले आए हैं लाशों की तरह
और आए हैं तो जी कर ही उठेंगे साक़ी
तूने बरसों जिसे आँखों में छिपाए रखा
आज उस जाम को पी कर ही उठेंगे साक़ी
© Ashutosh Dwivedi : आशुतोष द्विवेदी