मुहब्बत में जो ख़ता होती है

मुहब्बत में जो ख़ता होती है उसकी ख़ुश्बू ही ज़ुदा होती है इश्क़ उस से ही किया जाता है जिससे उम्मीदे-वफ़ा होती है मौत से जिस्म ही नहीं मरता दिल से धड़कन भी ज़ुदा होती है सब्र करने से पता चलता है दर्दे-दिल की भी दवा होती है उसकी क़ुदरत में एक शै है जो मेरी चाहत पे फ़ना होती है मौत ही है कि जो नहीं आती ज़िन्दगी रोज़ ख़फ़ा होती है © Arun Mittal Adbhut : अरुण मित्तल ‘अद्भुत’