मन तो गोमुख है

विश्व पुस्तक मेले के लेखक मंच से आज मेरे काव्य संग्रह “मन तो गोमुख है” का लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर साहित्य तथा पठन-पाठन से जुड़ी अनेक विभूतियाँ उपस्थित रहीं। बहुत ही सहज और अनुभवों से पगी कविताएँ हैं। सायास लिखी हुई नहीं, बल्कि स्वयम् स्फ़ूर्त कविताएँ हैं। टाइटल भी बहुत सटीक है- ‘मन तो गोमुख है’। ये कविताएँ भी हृदय के गोमुख से फूटी सहस्रधाराओं की तरह ही मौलिकता और ताज़गी लिये हुए हैं। ऐसे असाधारण कविता संग्रह के लिये आपको हृदय से बधाई। -नरेश शांडिल्य