जिन गीतों से सार न उपजे

आनन्द प्रकाश माहेश्वरी जिस डाली पर नीड़ बने ना उस पर जा कर रहना कैसा जिन राहों पर मंज़िल ना हो उन पर चलना-चलना कैसा जो डग सागर को ना जाए उस पथ पर बहती क्यों नदिया जो धारा तट तक ना जाए उससे क्यों टकराती नैया जिन पुष्पों में रंग न उभरें उनका खिलना है क्या खिलना जिनको जीवन मर्म न दरसे उनका जीना भी क्या जीना जो पयोद बे-मौसम बरसे उसमें नाच नाचना कैसा जिन बोलों से भरम न टूटे उनको रटना-रटना कैसा जिन तारों से वाद्य न फूटें उनको कसना-कसना कैसा जिन गीतों से सार न उपजे उनको गाना, गाना कैसा © Anand Prakash Maheshwari : आनन्द प्रकाश माहेश्वरी