याद करोगे

जितना मैं भूलूँगा तुमको तुम उतना ही याद करोगे। मुझे पता है मेरे गीतों का तुम अपनी भाषाओं में, कई बार अनुवाद करोगे। हर अनुवाद अधूरा होगा, कई कई अर्थों से लिपटे शब्द समूह मिलेंगे तुमको, अर्थ विरोधाभासी होगें, उनमें किसको सही कहोगे ? लक्ष्य किस तरह पूरा होगा? कितना समय बिताओगे तुम, कई पृष्ठ बरबाद करोगे। मुझे पता है मेरे गीतों का तुम अपनी भाषाओं में, कई बार अनुवाद करोगे। हर अनुवाद तुम्हे अखरेगा, जब मेरे चरित्र से बाहर के सारे संवाद मिलेंगे, सच को कई बार खोजोगे, जिसको सच मानोगे वह ही, किरिच किरिच होकर बिखरेगा, मेरी अनुपस्थिति में खुद से बार बार संवाद करोगे। मुझे पता है मेरे गीतों का तुम अपनी भाषाओं में, कई बार अनुवाद करोगे। हर अनुवाद अनोखा होगा, जितने मेरे चित्र उकेरे होगें तुमने बैठ बैठ कर, उन सबसे मैं भिन्न दिखूंगा, फिर तुम मुझको पहचानोगे फिर से तुमसे धोखा होगा, ऐसे ही अनजाने धोखे, कब तक मेरे बाद करोगेl © Gyan Prakash Aakul : ज्ञान प्रकाश आकुल