ऐलान-ए-जंग

गांधी जी ने जंग का ऐलान कर दिया बातिन से हक़ को दस्त-ओ-ग़रीबान कर दिया हिन्दोस्तां में एक नई रुह फूँककर आज़ादी-ए-हयात का सामान कर दिया शेख़ और बिरहमन में बढ़ाया है इत्तिहाद गोया उन्हें दो क़ालिब-ओ-यक़जान कर दिया ज़ुल्मो-सितम की नाव डुबोने के वास्ते क़तरे को आँखों-आँखों में तूफ़ान कर दिया © Zafar Ali Khan : ज़फ़र अली खां