रंगीला रे!

रंगीला रे! तेरे रंग में यूँ रंगा है मेरा मन छलिया रे! न बुझे है, किसी जल से, ये अगन पलकों के झूले से, सपनों की डोरी प्यार ने बांधी जो, तूने वो तोड़ी खेल ये कैसा रे, कैसा रे साथी दीया तो झूमे है, रोये है बाती कहीं भी जाए रे, रोये या गाए रे चैन न पाए रे हिया वाह रे प्यार! वाह रे वाह! दुख मेरा दुल्हा है, बिरहा है डोली आँसू की साड़ी है, आहों की चोली आग मैं पियूँ रे, जैसे हो पानी नारी दीवानी हूँ, पीड़ा की रानी मनवा यूँ जले है, जग सारा छले है साँस क्यूँ चले है पिया वाह रे प्यार! वाह रे वाह! मैंने तो सींची रे, तेरी ये राहें बाँहों में तेरी क्यों, औरों की बाँहें कैसे तू भूला वो फूलों सी रातें समझी जब आँखों ने आँखों की बातें गाँव भर छूटा रे, सपना हर टूटा रे फिर भी तू रूठा रे पिया वाह रे प्यार! वाह रे वाह! © Gopaldas Neeraj : गोपालदास ‘नीरज’ फिल्म : प्रेम पुजारी (1970) संगीतकार : सचिन देव बर्मन स्वर : लता मंगेशकर