दिल आज शायर है, ग़म आज नग़मा है

दिल आज शायर है, ग़म आज नग़मा है शब ये ग़ज़ल है सनम दुनिया के शेरों को, ओ सुनने वाले हो इस तरफ़ भी करम आ के ज़रा देख तो तेरी ख़ातिर, हम किस तरह से जिये आँसू के धागे से सीते रहे हम, जो ज़ख़्म तूने दिये चाहत की महफ़िल में ग़म तेरा लेकर, क़िस्मत से खेला जुआ दुनिया से जीते, पर ख़ुद से हारे, यूँ खेल अपना हुआ है प्यार हमने किया जिस तरह से, उसका न कोई जवाब ज़र्रा थे लेकिन तेरी लौ में जलकर, हम बन गए आफ़ताब हमसे है ज़िन्दा वफ़ा और हमीं से है तेरी महफ़िल जवां हम जब न होंगे तो रो-रो के दुनिया, ढूंढेगी मेरे निशां ये प्यार कोई खिलौना नहीं है, हर कोई ले जो ख़रीद मेरी तरह ज़िन्दगी भर तड़प लो, फिर आना इसके क़रीब हम तो मुसाफ़िर हैं, कोई सफ़र हो, हम तो गुज़र जाएंगे ही लेकिन लगाया है जो दाँव हमने वो जीत कर आएंगे ही © Gopaldas Neeraj : गोपालदास ‘नीरज’ फिल्म : गैम्बलर (1971) संगीतकार : सचिन देव बर्मन स्वर : किशोर कुमार