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Akhlaq Muhammad Khan Shaharyar : अख़लाक़ मुहम्मद खान ‘शहरयार’


 

नाम : अख़लाक़ मुहम्मद खान ‘शहरयार’
जन्म : 16 जून 1936; आंवला; बरेली
शिक्षा : पीएच.डी. (उर्दू)

पुरस्कार एवं सम्मान
साहित्य अकादमी पुरस्कार (1987)
ज्ञानपीठ पुरस्कार (2008)
फ़िराक सम्मान
बहादुरशाह ज़फर पुरस्कार

निधन : 13 फरवरी 2012 (अलीगढ़)

Ajay Janamejay : अजय जनमेजय

 


 

नाम : अजय जनमेजय
जन्म : 28 नवम्बर 1955; हस्तिनापुर
शिक्षा : एमबीबीएस

प्रकाशन:-
1) सच सूली पर टँगने हैं
2) तुम्हारे बाद
3) अक्कड़-बक्कड़ हो-हो-हो
4) हरा समुंदर गोपी चंदर
5) ईचक दाना बीचक दाना
6) समय की शिला पर
7) बाल सुमनों के नाम
8) नन्हे पंख ऊँची उड़ान

निवास : बिजनौर


28 नवम्बर सन् 1955 को हस्तिनापुर, उत्तर प्रदेश में जन्मे अजय जनमेजय पेशे से चिकित्सक हैं। इस समय आपका कर्मक्षेत्र तथा निवास बिजनौर में है। डॉ. अजय जनमेजय बाल मनोविज्ञान के विशेषज्ञ हैं, कदाचित् यही कारण है कि आपकी कृतियों में बालोपयोगी साहित्य की बहुतायत है। बिना किसी आपाधापी के चुपचाप साहित्य साधना में संलग्न डॉ. अजय जनमेजय एक दर्जन से अधिक पुरस्कार और सम्मानों से नवाज़ा जा चुका है। अनेक संकलनों में आपकी रचनाएँ तथा कृतित्व को संकलित किया गया है।

‘सच सूली पर टँगने हैं’, ‘तुम्हारे बाद’, ‘अक्कड़-बक्कड़ हो-हो-हो’, ‘हरा समुंदर गोपी चंदर’, ‘ईचक दाना बीचक दाना’, ‘समय की शिला पर’, ‘बाल सुमनों के नाम’ और ‘नन्हे पंख ऊँची उड़ान’ जैसे अनेक संग्रहों के साथ-साथ आपने अनेक महत्वपूर्ण ग्रंथों का संपादन भी किया है।

लोरियाँ, बालगीत, बाल कविताएँ, बाल कहानियाँ, ग़ज़ल और कविता समेत अनेक विधाओं में आपने लेखनी चलाई है। इसके अतिरिक्त बिजनौर की साहित्यिक धरोहर को सहेजने के लिए भी आप निरंतर प्रयासरत हैं।

 

Adam Gaundavi : अदम गौंडवी


नाम : अदम गौंडवी
जन्म : 22 अक्टूबर 1947; गोंडा

पुरस्कार एवं सम्मान
दुष्यंत कुमार पुरस्कार (मध्य प्रदेश सरकार) 1998

प्रकाशन
धरती की सतह पर
समय से मुठभेड़

निधन : 18 दिसंबर 2011; लखनऊ


ग़ज़ल को जब भी सत्ता की आँख में आँख डालकर कुछ कहने की ज़रूरत होगी तो अदम गौंडवी के अशआर सन्दर्भ बन जाएंगे. जुम्मन के घर की टूटी रकाबी से लेकर घीसू के पसीने की गंध तक हर वह तत्व अदम साहब के सुख़न का हिस्सा है जिसे इससे पहले ग़ज़ल के लिए अछूत माना जाता था. ग़ज़ल ने ज़ुल्फ़ों के पेचोख़म से निकल कर दराती और फावड़े तक का सफर अदम साहब की रहबरी में ही तय किया है.