शर्त

तुमने एक ‘लतीफ़ा’ सुनाया था
जिसे सुनकर सब हँस पड़े थे
सिर्फ़ मैं नहीं हँसा था,
क्योंकि हँसने के लिए मैं
‘लतीफ़ों’ का मोहताज नहीं हूँ।

हँसा मैं भी
मगर दो घंटे बाद,
जब हँसने का
कोई मतलब नहीं था।

मतलब था तो
सिर्फ़ इतना
कि मैं हँसा था
मगर अपनी शर्तों पर।

© Ashish Kumar Anshu : आशीष कुमार ‘अंशु’