Tag Archives: Ashish Kumar Anshu Poems

शर्त

तुमने एक ‘लतीफ़ा’ सुनाया था
जिसे सुनकर सब हँस पड़े थे
सिर्फ़ मैं नहीं हँसा था,
क्योंकि हँसने के लिए मैं
‘लतीफ़ों’ का मोहताज नहीं हूँ।

हँसा मैं भी
मगर दो घंटे बाद,
जब हँसने का
कोई मतलब नहीं था।

मतलब था तो
सिर्फ़ इतना
कि मैं हँसा था
मगर अपनी शर्तों पर।

© Ashish Kumar Anshu : आशीष कुमार ‘अंशु’

 

सदन की कार्यवाही

काश मेरी ज़िन्दगी
संसद की कार्यवाही होती
और सुरक्षित होता
अपने जीवन के कई हिस्सों को
जीवन की कार्यवाही से
अलग करने का हक़
मेरे पास!

तो फिर
क्या मुझ जैसा साधारण आदमी
अपनी कई परेशानियों से
चुटकियो में निज़ात न पा जाता!

© Ashish Kumar Anshu : आशीष कुमार ‘अंशु’

 

कवि

एक विचार
बीज रूप में
गिरा उस कोख में
गर्भ ठहरा
मथती रही अभिव्यक्ति
उसे जन्म लेने के लिए।
न शब्द था संग
न अर्थ थे
थे केवल कोरे विचार
बिलख रही कोख में
बन्धया अभिव्यक्ति
अर्थ पाने के लिए।
गर्भवती माँ की पीड़ा
आज समझ पाया था
एक गर्भ धारक कवि…!

© Ashish Kumar Anshu : आशीष कुमार ‘अंशु’

 

एमएनसीज

वो छीन लेना चाहते हैं
हमारा जल
हमारा जंगल
हमारी ज़मीन भी।

वो छीन लेना चाहते हैं
हमारी थाली से
चुटकी भर नमक
प्याज का एक टुकड़ा
और एक अदद मिर्च भी।

…और पाट देना चाहते हैं
हमारे घरों को
टेलीविज़न, कम्प्यूटर,
रेफ्रिजिरेटर, एयर कंडिशनर,
और अपनी नैनों कारों से।

© Ashish Kumar Anshu : आशीष कुमार ‘अंशु’

 

समाचार

अपनी मौत पर
अफ़सोस नहीं मुझको
जो आया है
वो जाएगा
अफ़सोस फ़क़त ये है
आज के अखबार में
मेरे मरने का
समाचार नहीं है

© Ashish Kumar Anshu : आशीष कुमार ‘अंशु’

 

इरेज़

काश मन एक मोबाइल होता
जिसमें एक ऑप्शन होता
‘इरेज़’,
फिर दुनिया के बहुत सारे लोग
अपनी कई परेशानियों से
निज़ात पा जाते

© Ashish Kumar Anshu : आशीष कुमार ‘अंशु’