सिलवटें

कितने दिनों के बाद बर्फ पिघली है छतों की कितने दिनों के बाद खोली धूप ने चादर नई कितने दिनों के बाद वह गुज़रा है मेरे घर से होकर कितने दिनों के बाद इन खिड़कियों ने फिर से गहरी साँसें ली हैं कितने दिनों के बाद सीली चादरें डाली हैं हमने धूप में कितने दिनों के बाद मन की सिलवटें मिटने लगीं! © Vivek Mishra : विवेक मिश्र