बनेगा हर एक काम

देश के दुलारे जिस रास्ते से गुज़रे हों ऐसी पगडंडी ऐसा ठाँव छू के चलिए फल-फूलते हों जहाँ प्रेम और संस्कार सपनों का ऐसा कोई गाँव छू के चलिए ज़िन्दगी जिन्होंने लिख दी है पथिकों के नाम राह के दरख्तों की छाँव छू के चलिए पुण्य चारों धाम का, बनेगा हर एक काम घर से चलो तो माँ के पाँव छू के चलिए © Charanjeet Charan : चरणजीत चरण