सम्पर्क

हैरान होते हो तुम और कहते हो कि कैसे? कहाँ-कहाँ निकल आते हैं सम्पर्क-सूत्र आपके? यहाँ सात समन्दर पार उस देश में भी जिसका नाम भी नहीं सुना था आपने कुछ दिन पहले तक। तब हैरान होती हूँ मैं भी। कि मुझे भी कहाँ पता था अपनी असमर्थताओं में छिपे इस सामर्थ्य का। सम्भवत: प्रश्न दूरी का नहीं सम्बन्धों की प्रगाढ़ता और उन्हें जीने की ईमानदारी का होता है। मैंने शुरू कर दिया है ‘मार्स’ के बारे में पढ़ना आजकल…. © Sandhya Garg : संध्या गर्ग