दोधारी तलवार से

सोचो भाई कैसे निपटें आख़िर भ्रष्टाचार से
इसको कैसे क़लम करें हम दोधारी तलवार से

स्वार्थ हमें अंधा कर देता, बांधे पट्टी आँखों पर
अपनी जड़ को छोड़ उछलते हम मतवाली शाख़ों पर
आँखों का पानी मर जाता इसके अत्याचार से
इसको कैसे क़लम करें हम दोधारी तलवार से

सच्चाई का दामन थामें अपने पर विश्वास हो
नेक इरादे लोहे जैसे और अपनों का साथ हो
आपस में सद्भाव बनाएँ इक-दूजे में प्यार से
इसको कैसे क़लम करें हम दोधारी तलवार से

आओ भाई मिलकर निपटें शातिर भ्रष्टाचार से
इसको हम सब क़लम करें अब दोधारी तलवार से

© Ambrish Srivastava : अम्बरीष श्रीवास्तव