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Dinesh Raghuvanshi : दिनेश रघुवंशी

नाम : दिनेश रघुवंशी
जन्म : 26 अगस्त 1964 (बुलंदशहर)
शिक्षा : स्नातकोत्तर

निवास : फरीदाबाद

26 अगस्त सन् 1964 को बुलंदशहर के खैरपुर ग्राम में जन्मे दिनेश रघुवंशी वर्तमान वाचिक परंपरा में सर्वाधिक सक्रिय हस्ताक्षरों में गणित किए जाते हैं। संबंधों की पीड़ा और अनुभूति की बेहद संस्पर्शी संवेदना के गीत और मुक्तक दिनेश जी की काव्य-प्रतिभा के विशिष्ट अंग हैं।
मेरठ विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के बाद आप मोदी रबर लिमिटेड में सीनीयर एक्ज़ीक्यूटिव के पद पर नियुक्त हुए। अनेक साहित्यिक सम्मान और पुरस्कारों से अलंकृत यह रचनाकार इस समय पूर्णतया काव्य-साधना में संलग्न है। ‘आसमान बाक़ी है’, ‘दो पल’ और ‘अनकहा इससे अधिक है’
शीर्षक से आपके काव्य संकलन प्रकाशित हो चुके हैं। अनेक देशों में अपनी कविता लेकर हिन्दी और हिन्दोस्तां की गूंज गुंजाने वाले दिनेश रघुवंशी के गीतों में मानवीय संबंधों की एक ऐसी संवेदना है, जिसको सुनकर उससे प्रभावित हुए बिना रह पाना लगभग नामुमक़िन हो जाता है।
‘आम’ से दिखने वाले पारिवारिक क़िरदारों पर दिनेश जी के ‘ख़ास’ गीत व मुक्तक स्वयं में अनोखे हैं। कवि सम्मेलनों के मंचों का जीवंत संचालन करने में दक्ष दिनेश जी, अपनी पीढ़ी के सर्वाधिक लोकप्रिय रचनाकारों में से एक हैं।
आपके विषय में वरिष्ठ कवि मंगल नसीम का मानना है- ”दिनेश रघुवंशी आज की हिन्दी ग़ज़ल की दुनिया में सर्वाधिक चर्चित युवा ग़ज़लकारों में गिने जाते हैं। ग़ज़ल विधा में गहरी पैठ, अद्भुत शे’री समझ, सटीक शब्द चयन, विषय की पूरी जानकारी, ग़ज़ब का आत्मविश्वास और ख़ूबसूरत कलात्मक प्रस्तुति के बल पर यह युवा
शाइर हिन्दी ग़ज़ल का स्वर्णिम पल माना जा सकता है।”

 

Surendra Sharma : सुरेंद्र शर्मा

नाम : सुरेंद्र शर्मा
जन्म : 29 जुलाई 1945; नांगल चौधरी, हरियाणा
शिक्षा : स्नातक (वाणिज्य)

पुरस्कार एवं सम्मान
पद्मश्री

प्रकाशन
मानसरोवर के कौवे (व्यंग्य लेख संग्रह)
बुद्धिमानों की मूर्खताएं (व्यंग्य लेख संग्रह)
बड़े-बड़ों के उत्पात (व्यंग्य लेख संग्रह)
निवास : नई दिल्ली

सुरेंद्र शर्मा भारतीय हास्य का एक पर्याय हैं. भाषा की कमज़ोरियों को शक्ति के रूप में प्रयोग करके अपनी सहज भाव-भंगिमाओं के साथ मंच पर प्रस्तुत करने में सुरेंद्र शर्मा जी माहिर हैं. हरियाणा और राजस्थान के क्षेत्रीय भाषाई सौंदर्य का सम्मिश्रण आपकी रचनाओं का अहम् हिस्सा है. हास्य कवि के रूप में पूरी दुनिया में
लोकप्रिय हुए शर्मा जी एक गंभीर दार्शनिक और श्रेष्ठ गीतकार भी हैं. व्यंग्य-बोध और हास्य-बोध के साथ-साथ आपका संवेदना-बोध भी परिष्कृत है.