Tag Archives: Ramavatar Tyagi Poems

एक भी आँसू न कर बेकार

एक भी आँसू न कर बेकार
जाने कब समंदर मांगने आ जाए

पास प्यासे के कुँआ आता नहीं है
ये कहावत है अमरवाणी नहीं है
और जिसके पास देने को न कुछ भी
एक भी ऎसा यहाँ प्राणी नहीं है
कर स्वयं हर गीत का शृंगार
जाने देवता को कौन-सा भा जाए

चोट खाकर टूटते हैं सिर्फ़ दर्पण
किन्तु आकृतियाँ कभी टूटी नहीं हैं
आदमी से रूठ जाता है सभी कुछ
पर समस्याएँ कभी रूठी नहीं हैं
हर छलकते अश्रु को कर प्यार
जाने आत्मा को कौन सा नहला जाए

व्यर्थ है करना ख़ुशामद रास्तों की
काम अपने पाँव ही आते सफ़र में
वह न ईश्वर के उठाए भी उठेगा
जो स्वयं गिर जाए अपनी ही नज़र में
हर लहर का कर प्रणय स्वीकार
जाने कौन तट के पास पहुँचा जाए

© Ramavtar Tyagi : रामावतार त्यागी

 

रोशनी मुझसे मिलेगी

इस सदन में मैं अकेला ही दिया हूँ
मत बुझाओ!
जब मिलेगी, रोशनी मुझसे मिलेगी!

पाँव तो मेरे थकन ने छील डाले
अब विचारों के सहारे चल रहा हूँ
ऑंसुओं से जन्म दे-देकर हँसी को
एक मंदिर के दिए-सा जल रहा हूँ

मैं जहाँ धर दूँ क़दम वह राजपथ है
मत मिटाओ!
पाँव मेरे देखकर दुनिया चलेगी!

बेबसी, मेरे अधर इतने न खोलो
जो कि अपना मोल बतलाता फिरूँ मैं
इस क़दर नफ़रत न बरसाओ नयन से
प्यार को हर गाँव दफ़नाता फिरूँ मैं

एक अंगारा गरम मैं ही बचा हूँ
मत बुझाओ!
जब जलेगी, आरती मुझसे जलेगी!

जी रहे हो जिस कला का नाम लेकर
कुछ पता भी है कि वह कैसे बची है
सभ्यता की जिस अटारी पर खड़े हो
वह हमीं बदनाम लोगों ने रची है

मैं बहारों का अकेला वंशधर हूँ
मत सुखाओ!
मैं खिलूंगा तब नई बग़िया खिलेगी!

शाम ने सबके मुखों पर रात मल दी
मैं जला हूँ तो सुबह लाकर बुझूंगा
ज़िन्दगी सारी गुनाहों में बिताकर
जब मरूंगा, देवता बनकर पुजूंगा

ऑंसुओं को देखकर, मेरी हँसी तुम
मत उड़ाओ!
मैं न रोऊँ तो शिला कैसे गलेगी!

© Ramavtar Tyagi : रामावतार त्यागी