हमें कहना नहीं आया

दिलों में कितनी चाहत थी हमें कहना नहीं आया सितम तो ख़ूबसूरत था हमें सहना नहीं आया वो बीते कल की बातें आज दोहराने से क्या हासिल सनम दरिया थे हम दोनों मगर बहना नहीं आया © Dinesh Raghuvanshi : दिनेश रघुवंशी