बेच दिए हैं मीठे सपने

हमने तो अनुभव के हाथ बेच दिए हैं मीठे सपने सूरज के छिपने के बाद हुए बहुत मौलिक अनुवाद सुबह लिखे पृष्ठ लगे छपने स्वर्ण कलश हाथ से छुटे रोटी के दाम हम लुटे ऊँचे-ऊँचे सार्थक मनोबल बैठ गए हैं माल जपने © Dhananjaya Singh : धनंजय सिंह