जय-जय राम

राम नाम जपते रहें, मूल मंत्र ये नाम अंतर में जब राम हों, बन जाएँ सब काम मनवा मेरा कब से प्यासा, दर्शन दे दो राम तेरे चरणों में हैं बसते जग के सारे धाम जय-जय राम सीताराम, जय-जय राम सीताराम अयोध्या नगरी में तुम जन्मे, दशरथ पुत्र कहाए विश्वामित्र थे गुरु तुम्हारे, कौशल्या के जाए ऋषि-मुनियों की रक्षा करके तुमने किया है नाम तुलसी जैसे भक्त तुम्हारे, बाँटें जग में ज्ञान जय-जय राम सीताराम, जय-जय राम सीताराम सुग्रीव-विभीषण मित्र तुम्हारे, केवट-शबरी साधक भ्राता लक्ष्मण संग तुम्हारे, राक्षस सारे बाधक बालि-रावण को संहारा, सौंपा अद्भुत धाम जटायु-सा भक्त आपका आया रण में काम जय-जय राम सीताराम, जय-जय राम सीताराम शिव जी ठहरे तेरे साधक, हनुमत भक्त कहाते जिन पर कृपा तुम्हारी होती वो तेरे हो जाते सबको अपनी शरण में ले लो, दे दो अपना धाम जग में हम सब चाहें तुझसे, भक्ति का वरदान जय-जय राम सीताराम, जय-जय राम सीताराम मोक्ष-वोक्ष कुछ मैं ना मांगूँ, कर्मयोग तुम देना जब भी जग में मैं गिर जाऊँ, मुझको अपना लेना कृष्ण और साईं रूप तुम्हारे, करते जग कल्याण कैसे करुँ वंदना तेरी, दे दो मुझको ज्ञान जय-जय राम सीताराम, जय-जय राम सीताराम जो भी चलता राह तुम्हारी, जग उसका हो जाता लव-कुश जैसे पुत्र वो पाए, भरत से मिलते भ्राता उसके दिल में तुम बस जाना जो ले-ले तेरा नाम भक्ति-भाव से सेवक सौंपे तुझको अपना प्रणाम जय-जय राम सीताराम, जय-जय राम सीताराम © Ambrish Srivastava : अम्बरीष श्रीवास्तव