वर्षगाँठ

(मित्र की वर्षगाँठ पर) जीवन वर्षों की तय लंबी डोरी जिस पर पड़ती हर एक गाँठ बीते हुए दिनों और आने वाले कल के बीच की एक कड़ी है आज यह विचार करो आज तक तुमने क्या खोया क्या पाया निर्धारित करो तुम्हें क्या पाना है बीते हुए कल के अनुभवों और आने वाले कल की संभावनाओं और अवसरों से तुम अपने जीवन के महत्तम लक्ष्य को पाओ! यही है मेरी शुभकामना! © Ashish Kumar Anshu : आशीष कुमार ‘अंशु’