तुम्हारे बाद

क्या बताऊँ क्या तुम्हारे बाद करना है मुझे। बस वही बीता हुआ कल याद करना है मुझे। कोयलें अपने परों में बाँधकर मधुमास लायीं, अनमिटी प्यासें सिमटकर सब हमारे पास आयीं, मौन रहकर स्वयं से संवाद करना है मुझे। चाँद ने किरने बिछायीं खिल गयी है पूर्णमासी, फिर धुआं सी छा गयी है दूर तक गहरी उदासी, इस धुयें से स्वयं को आजाद करना है मुझे। है यही कोशिश कि मेरी हार से भी जीत निकले, दर्द गाऊँ जब कभी भी तो सुरीला गीत निकले, उम्र भर बस पीर का अनुवाद करना है मुझे। © Gyan Prakash Aakul : ज्ञान प्रकाश आकुल