ये सोना-चांदी हटा ये सोना-चांदी हटा, मुझे न इनसे तोल। है चुटकी भर प्यार तो, ले ले मुझको मोल॥ © Naresh Shandilya : नरेश शांडिल्य Related posts: ये हवा, ये धूप, ये बरसात पहले-सी नहीं छोटा हूँ तो क्या हुआ दौलत की लत क्यों पड़े ये चार काग़ज़, ये लफ्ज़ ढाई अपनी आवाज़ ही सुनूँ कब तक सर न झुकाया, हाथ न जोड़े खुली खिड़की-सी लड़की दिल की गई चिंता उतर ज़माना बदल गया नैना गिरवी रख लिये अनकहा इससे अधिक है हम उलझ रहे हैं मुझे मेरे ही भीतर से उठाकर ले गया कोई बाबुल का रोग छिना न माखन, हाय चाह में है और कोई बूंदों की भाषा प्रेम क्या है लेना होगा जनम हमें कई-कई बार पहला-पहला प्यार