यूँ छुपकर रोज़ मिलने का बहाना ख़ूबसूरत है नज़र मिलते ही नज़रों का चुराना ख़ूबसूरत है नहीं कुछ भी नहीं, कुछ भी नहीं, कुछ भी नहीं फिर तो तुम्हारा साथ जब तक है, ज़माना ख़ूबसूरत है © Dinesh Raghuvanshi : दिनेश रघुवंशी
यूँ छुपकर रोज़ मिलने का बहाना ख़ूबसूरत है नज़र मिलते ही नज़रों का चुराना ख़ूबसूरत है नहीं कुछ भी नहीं, कुछ भी नहीं, कुछ भी नहीं फिर तो तुम्हारा साथ जब तक है, ज़माना ख़ूबसूरत है © Dinesh Raghuvanshi : दिनेश रघुवंशी