चांद-सी महबूबा हो मेरी

चांद-सी महबूबा हो मेरी कब ऐसा मैंने सोचा था हाँ तुम बिल्कुल वैसी हो, जैसा मैंने सोचा था ना रस्में हैं, ना कसमें हैं ना शिक़वे हैं, ना वादे हैं इक सूरत भोली-भाली है दो नैना सीधे-सादे हैं ऐसा ही रूप ख़यालों में था जैसा मैंने सोचा था मेरी ख़ुशियाँ ही ना बाँटे मेरे ग़म भी सहना चाहे देखे ना ख्वाब वो महलों के मेरे दिल में रहना चाहे इस दुनिया में कौन था ऐसा जैसा मैंने सोचा था फिल्म : हिमालय की गोद में संगीतकार : कल्याण जी-आनन्द जी स्वर : मुकेश © Anand Bakshi : आनन्द बख्शी