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शोखि़यों में घोला जाए, फूलों का शबाब

शोखि़यों में घोला जाए, फूलों का शबाब
उसमें फिर मिलाई जाए, थोड़ी सी शराब
होगा यूँ नशा जो तैयार, वो प्यार है

हँसता हुआ बचपन हो, बहका हुआ मौसम है
छेड़ो तो इक शोला है, छू लो तो बस शबनम है
गाँव में, मेले में, राह में, अकेले में
आता जो याद बार-बार, वो प्यार है

रंग में पिघले सोना, अंग से यूँ रस छलके
जैसे बजे धुन कोई, रात में हल्के-हल्के
धूप में, छाँव में, झूमती हवाओं में
हरदम करे जो इन्तज़ार, वो प्यार है

याद अगर वो आए, ऐसे कटे तन्हाई
सूने शहर में जैसे बजने लगे शहनाई
आना हो, जाना हो, कैसा भी ज़माना हो
उतरे कभी न जो ख़ुमार, वो प्यार है

© Gopaldas Neeraj : गोपालदास ‘नीरज’

फिल्म : प्रेम पुजारी (1970)
संगीतकार : सचिन देव बर्मन
स्वर : लता मंगेशकर व किशोर कुमार

 

लेना होगा जनम हमें कई-कई बार

फूलों के रंग से, दिल की क़लम से, तुझको लिखी रोज़ पाती
कैसे बताऊँ, किस-किस तरह से, पल-पल मुझे तू सताती
तेरे ही सपने लेकर के सोया, तेरी ही यादों में जागा
तेरे ख़यालों में उलझा रहा यूँ, जैसे कि माला में धागा
बादल-बिजली, चंदन-पानी जैसा अपना प्यार
लेना होगा जनम हमें, कई-कई बार
इतना मदिर, इतना मधुर, तेरा-मेरा प्यार
लेना होगा जनम हमें, कई-कई बार

साँसों की सरगम, धड़कन की वीणा, सपनों की गीतांजलि तू
मन की गली में, महके जो हरदम, ऐसी जुही की कली तू
छोटा सफ़र हो, लम्बा सफ़र हो, सूनी डगर हो या मेला
याद तू आए, मन हो जाए, भीड़ के बीच अकेला
बादल-बिजली, चंदन-पानी जैसा अपना प्यार
लेना होगा जनम हमें, कई-कई बार
इतना मदिर, इतना मधुर, तेरा-मेरा प्यार
लेना होगा जनम हमें, कई-कई बार

पूरब हो पच्छिम, उत्तर हो दक्खिन, तू हर जगह मुस्कुराए
जितना भी जाऊँ, मैं दूर तुझसे, उतनी ही तू पास आए
आंधी ने रोका, पानी ने टोका, दुनिया ने हँस कर पुकारा
तस्वीर तेरी लेकिन लिए मैं कर आया सबसे किनारा
बादल-बिजली, चंदन-पानी जैसा अपना प्यार
लेना होगा जनम हमें, कई-कई बार
इतना मदिर, इतना मधुर, तेरा-मेरा प्यार
लेना होगा जनम हमें, कई-कई बार

© Gopaldas Neeraj : गोपालदास ‘नीरज’

फिल्म : प्रेम पुजारी (1970)
संगीतकार : सचिन देव बर्मन
स्वर : किशोर कुमार

 

प्रेम के पुजारी

प्रेम के पुजारी
हम हैं रस के भिखारी
हम है प्रेम के पुजारी

कहाँ रे हिमाला ऐसा, कहाँ ऐसा पानी
यही वो ज़मीं, जिसकी दुनिया दीवानी
सुन्दरी न कोई, जैसी धरती हमारी

राजा गए, ताज गया, बदला जहाँ सारा
रोज़ मगर बढ़ता जाए, कारवां हमारा
फूल हम हज़ारों लेकिन, ख़ुश्बू एक हमारी

© Gopaldas Neeraj : गोपालदास ‘नीरज’

फिल्म : प्रेम पुजारी (1970)
संगीतकार : सचिन देव बर्मन
स्वर : सचिन देव बर्मन