कोई सपना पिरो जाएँ

हया पहनें, वफ़ा ओढ़ें, बिछाकर याद सो जाएँ चलो हर पल के दामन में कोई सपना पिरो जाएँ बहुत कुछ तुमको कहना है, बहुत कुछ मुझको कहना है चलो फिर यूँ करें कुछ देर को ख़ामोश हो जाएँ मुहब्बत में नहीं वाज़िब रवायत कोई आदर की जिन्हें आना है वो आएँ, जिन्हें जाना है वो जाएँ बिखेरे हूँ मैं बिस्तर पर तुम्हारी याद के टुकड़े अभी तुम फोन मत करना, ये लम्हें फिर न खो जाएँ गुलों की अंजुमन है ये बड़े मायूस हैं काँटे किया है चुप अभी मैंने कहीं फिर से न रो जाएँ ये दुनिया है ‘चरन’ इसमें नहीं मुमक़िन सफ़र तनहा न हो जब तक कोई अपना चलो ग़ैरों के हो जाएँ © Charanjeet Charan : चरणजीत चरण