गहरी प्यास को जैसे मीठा जल देते तुम बाबूजी

गहरी प्यास को जैसे मीठा जल देते तुम बाबूजी जीवन को सारे प्रश्नों के हल देते तुम बाबूजी सबके हिस्से शीतल छाया, अपने हिस्से धूप कड़ी गर होते तो काहे ऐसे पल देते तुम बाबूजी माँ तो जैसे– तैसे रुखे-सूखे टुकड़े दे पाई गर होते तो टॉफ़ी, बिस्कुट, फल देते तुम बाबूजी अपने बच्चों को अच्छा– सा वर्तमान तो देते ही जीवन भर को एक सुरक्षित कल देते तुम बाबूजी काश तरक्की देखी होती अपने नन्हे-मुन्नों की फिर चाहे तो इस दुनिया से चल देते तुम बाबूजी © Dinesh Raghuvanshi : दिनेश रघुवंशी