मैं

मैंने जब-जब भी मैं का सहारा लिया तूने तब-तब ही मुझसे किनारा किया मैंने जब-जब भी ‘मैं’ को बिसारा प्रभो पाया तब-तब ही तेरा सहारा प्रभो मेहर तेरी है सारी ‘मैं कौन हूँ’ बस यही तो न जाना कि ‘मैं कौन हूँ’ भेद समझा न ‘मैं’ का, भटकता रहा हार कर मैंने तुझको पुकारा प्रभो मैंने जब-जब भी तुझको बिसारा प्रभो ‘मैं’ को जाना, ‘मैं’ को ही भूल गया फिर तो बाँहों में तेरी मैं झूल गया जानकर भेद यह कि ‘मैं’ कौन हूँ पाया अद्भुत ही तेरा नज़ारा प्रभो मैंने जब-जब भी तुझको बिसारा प्रभो Ajay Sehgal : अजय सहगल