मौसम ये तन्हाई का

आँखों के दरिया भी सारे सूख गए कब बीतेगा मौसम ये तन्हाई का अँधियारों ने चमक छीन ली सूरज की आँखों को उजियार नहीं मिल पाता है नफ़रत के बाज़ार सजे पर दुनिया में ढूंढे से भी प्यार नहीं मिल पाता है घोर तिमिर जब घेर लिया करते पथ में साथ नहीं मिलता अपनी परछाईं का उम्मीदों का चाँद तो रोज़ निकलता है सपनों का उपवास नहीं पूरा होता जाने कब दहलीज़ पे लौटेंगी दिल की ख़ुशियों का वनवास नहीं पूरा होता जाने कब से ढूँढ रहा हूँ मैं लेकिन भेद नहीं मिलता दिल की गहराई का © Nikunj Sharma : निकुंज शर्मा