मुहब्बत में अब रंग आने लगा है

मुहब्बत में अब रंग आने लगा है कि वो मुझसे नज़रें चुराने लगा है यक़ीनन यक़ीं डगमगाने लगा है मुझे फिर से वो आज़माने लगा है जो वादा किया है निभा न सकोगे ये चेहरा तुम्हारा बताने लगा है जिसे ला के साहिल पे छोड़ा था हमने वो तूफान सर को उठाने लगा है ख़ुदा जाने क्या देखा दिल ने अचानक वे क्यों छोड़कर मुझको जाने लगा है जिसे नाज़ कल तक रहा दोस्ती पर वही दुश्मनी अब निभाने लगा है मेरे ‘मीत’ मुझ पर भरोसा नहीं क्या जो तू राज़ अपना छुपाने लगा है © Anil Verma Meet : अनिल वर्मा ‘मीत’