अब अंधेरे हैं

रौनक-ए-बज्म बन गई होगी जब किसी बात पर हँसी होगी चांद निकला था छुप गया वो कहीं आज वो छत पे सो रही होगी हाँ ये माना कि अब अंधेरे हैं इन अंधेरों की मौत भी होगी उसकी ऑंखों में अश्क़ रहते हैं उसने उम्मीद कोई की होगी तू अगर फिर से मुझको मिल जाए ज़िन्दगी फिर से ज़िन्दगी होगी © Anurag Shukla Agam : अनुराग शुक्ला ‘अगम’