इक इक लम्हा घुट-घुट के था गुज़ारा हमने वक्त वतन पे पड़ा, बहाया अपने लहू का फव्वारा हमने कहीं भूल मत जाना, प्यारे वतन के लोगो यूँ ही न था भारत की तक़दीर को सँवारा हमने © Ajay Sehgal : अजय सहगल
इक इक लम्हा घुट-घुट के था गुज़ारा हमने वक्त वतन पे पड़ा, बहाया अपने लहू का फव्वारा हमने कहीं भूल मत जाना, प्यारे वतन के लोगो यूँ ही न था भारत की तक़दीर को सँवारा हमने © Ajay Sehgal : अजय सहगल